समदिया
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पत्थरों को रोते देखा हैं हमने
सपनो को बदलते देखा हैं हमने
देखा हैं दिन का ढलता सूरज
और देखा हैं रातो के शुरू को भी
कोरे कागज़ पे निशा देखे हैं हमने
और देखा हैं शिकन हँसते चेहरे पर
हंसी चेहरे के गम को देखा है हमने
और रोया है हमने खुश होने पर
छलकती आँखों को देखा हैं काजल के तले
सिसकते होंठो को देखा हैं भींचते हुए
मुस्कुराते हैं लोग मतलब की दुनिया में
कई चेहरों को देखा हैं, एक चेहरे के पीछे
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