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कभी फूलो को हँसते देखा है

समदिया
समदिया
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कभी फूलो को हँसते देखा है,
कभी खुशियों को रोते देखा है?
सूरज में आग तो बहुतो ने देखा
क्या सूरज को जलते कभी देखा है?
रोते हुए तो आँसू  बहुत है निकलते
क्या हँसते हुए आँसू कभी देखा है?
चाँद की सुन्दरता तो सबने है देखा
क्या चाँद में दाग है कभी सोचा है
दिल है मोम का तो पिघलेगी जरुर
क्या पत्थरो को पिघलते कभी देखा है?
कभी फूलो को हँसते देखा है

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