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जब गाँव की याद आती है तो आप क्या करते हैं…?
शहर की भीड़-भाड़ और शोर शराबे में
जहाँ सुस्ताने को फुर्सत नहीं मिलता,
पैसा की हाय-हाय नहीं तो बाय-बाय है
वही गाँव की चौपाल की याद आती है तो आप क्या करते हैं?
बंद कमरे की ए.सी. जहाँ तन को तो सुकून देता है
लेकिन मन को नहीं,
वही पीपल की ठंढी छाँव याद आती है तो आप क्या करते हैं?
पंखे की हवा में जहाँ घुटन महसूस होता है
घड़ी की टिक-टिक में जहाँ शोर सुनाई देता हैं,
वही गाँव की पुरबाई याद आती है तो आप क्या करते हैं?
बाथरूम के बाथ-टब और स्वीमिंग पुल का पानी
जहाँ तन को तो भींगता है लेकिन मन को नहीं,
नल के पांनी से जहाँ तेजाब बरसता हैं
गन्दी हवा जब मन का चैन छीन लेता हैं
वही पोखर की डुबकी याद आती है तो आप क्या करते हैं?
भेपर लाइट के रौशनी से जहाँ रात भी दिन दिखता हैं
भक्क-भक्क रौशनी जहाँ आँख को नहीं सुहाता हैं
वही चाँद को देखने के लिए आप क्या करते हैं?
जब गाँव की याद आती है तो आप क्या करते हैं…?
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