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मैं ‘पागल’ हूँ…!!

समदिया
समदिया
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मैं ‘पागल’ हूँ
ये मैं नहीं लोग कहते हैं.
उस समय…!!


की खिल गयी हो फुलवारी के सारे फूल
और जब रोता हूँ,फुट-फुट कर
की छलनी हो जाये धरती का कलेजा
उस समय लोग कहते हैं…!!


की गूंजा दूंगा अपने शंखनाद को चहुँ और
और जब मैं चुप होता हूँ ,
की थम गयी हो सांसो के संग धरा सारी
उस समय लोग कहते हैं…!!

जब मैं दोड़ता हूँ,पुरे वेग से
की जीत लूँगा जिन्दगी की हर रेस
और जब थक कर बैठ जाता हूँ,
की जैसे ख़तम हो गयी हो जीने की ईक्षा
उस समय लोग कहते हैं…!!

गर गाना-गुनगुनाना,हसना-मुस्कुराना

,
चीखना-चिल्लाना,रूठना मानना
पागलपन हैं, तो मैं हूँ.
जो लोग कहते हैं…!!

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